उदयपुर (राजस्थान): राजस्थान के उदयपुर शहर में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया है। सूरजपोल चौराहे पर एक महिला ने अपने ऊपर पेट्रोल डालकर खुद को आग लगा ली। यह दर्दनाक घटना न केवल महिला के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक गहरी चिंता का कारण बन गई है। महिला ने आग लगाने के पीछे अपनी कहानी साझा की है, जिसने साबित कर दिया है कि घरेलू हिंसा और मानसिक उत्पीड़न के कारण कई बार लोगों को इस प्रकार के खौ़फनाक कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
घटना में जले हुए महिला का नाम भावना यादव है, जिनकी उम्र 35 वर्ष है। महिला का इलाज एमबी अस्पताल में चल रहा है, जहां उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है। डॉक्टरों के अनुसार, महिला का शरीर का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा जल चुका है, जिसमें उनकी एड़ी से लेकर गर्दन का पिछला हिस्सा भी शामिल है। इस गंभीर स्थिति के बावजूद भावना ने अपनी कहानी बताई, जिससे साफ़ हो गया कि घरेलू झगड़े और मानसिक तनाव के कारण ही उसने यह कदम उठाया।

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घर में आए दिन होते थे झगड़े
भावना ने मीडिया से बातचीत में बताया कि वह कई सालों से अपने पति गजेंद्र सिंह के साथ रिश्ते में तनाव का सामना कर रही थी। उन्होंने बताया कि वे दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे, लेकिन घर के भीतर आए दिन होने वाले झगड़े और पति के शराब पीने की आदत ने उनकी जिंदगी को कठिन बना दिया था। एक दिन के वाकये ने उसकी जिंदगी को एक खौ़फनाक मोड़ दिया।
भावना और गजेंद्र दोनों उदयपुर के देबारी स्थित एक साइट पर रंग-रोगन का काम कर रहे थे। काम खत्म होने के बाद दोनों देर शाम को सिटी बस से सूरजपोल चौराहे पहुंचे। यहां गजेंद्र ने शराब के लिए पैसे मांगे, जिससे दोनों के बीच झगड़ा शुरू हो गया। गालियां दी जाने लगीं और भावना ने कहा कि यह उसका रोज़ का सामना था। कई बार वह इस स्थिति से तंग आ चुकी थी, लेकिन इस बार गुस्से में उसने अपने शरीर पर पेंट वाला तारपीन का तेल डाला और पास की दुकान से माचिस लेकर खुद को आग लगा ली।
भावना का कहना था, “रोज़-रोज़ के इस संघर्ष से थक चुकी थी। हर दिन की लड़ाई और मानसिक उत्पीड़न ने मुझे इस कदर तोड़ दिया था कि मुझे लगा, अब मरने से बेहतर कुछ नहीं।” यह बयान दर्शाता है कि महिला को मानसिक और शारीरिक रूप से कितना उत्पीड़न सहना पड़ा था, जिसके परिणामस्वरूप उसने यह खौ़फनाक कदम उठाया।
पति का पछतावा: “मैंने क्यों उसे अकेला छोड़ा?”
भावना के पति गजेंद्र सिंह इस घटना के बाद सदमे में हैं। वह बार-बार यही सवाल पूछ रहे हैं, “मैंने क्यों उसे अकेला छोड़ा?” उनका कहना है कि वह अपने जीवनसाथी से बहुत प्यार करते हैं, और उन्होंने कभी भी अपनी पत्नी के साथ मारपीट नहीं की। गजेंद्र का कहना है कि झगड़े होते थे, लेकिन वह कभी भी भावना के खिलाफ हिंसा का सहारा नहीं लेते थे। अब वह दुखी हैं कि क्या गलत हुआ कि उनकी पत्नी ने ऐसा कदम उठाया।
गजेंद्र ने बताया कि उनका और भावना का रिश्ता लव मैरिज था। वे दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे और उनकी एक सात साल की बेटी भी है। लेकिन उनका कहना है कि शराब की आदत और घर के झगड़े ने उनके रिश्ते में दरार डाल दी थी। गजेंद्र का कहना है कि वे बहुत पछता रहे हैं कि उस दिन उन्होंने अपनी पत्नी को अकेला छोड़ दिया, जिसे वह अब जीवनभर का पछतावा मानते हैं।
घरेलू हिंसा का बढ़ता खतरा और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे
इस घटना ने घरेलू हिंसा और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को एक बार फिर से उजागर किया है। हर दिन महिलाएं इस प्रकार के मानसिक उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं। यह घटना सिर्फ भावना के जीवन की नहीं, बल्कि हमारे समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है। महिलाएं घरेलू हिंसा, मानसिक उत्पीड़न, और शारीरिक दुर्व्यवहार के शिकार हो रही हैं, और कई बार इन्हें इस प्रकार के खौ़फनाक कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
यह सवाल उठता है कि समाज में महिला को बराबरी का दर्जा देने, उसे मानसिक शांति और सुरक्षा देने की जिम्मेदारी किसकी है? क्या केवल कानूनी उपायों से ही घरेलू हिंसा का समाधान किया जा सकता है, या इसके लिए समाज को भी जागरूक करना होगा? क्या मानसिक उत्पीड़न की पहचान करना और उसे ठीक से उपचारित करना हमारे समाज की जिम्मेदारी नहीं है?
भावना की देखभाल में परिवार का योगदान
घटना के बाद, भावना के पति और भाई दिनेश उसकी देखभाल में लगे हुए हैं। परिवार के लोग उसे अस्पताल में संभाल रहे हैं, लेकिन यह घटना इस परिवार के लिए एक गहरी तकलीफ और मानसिक सदमे का कारण बन गई है। भावना की स्थिति अभी भी बहुत नाजुक है, और उसे जीवन रक्षक इलाज की आवश्यकता है। परिवारवालों का कहना है कि वे भावना को हर संभव मदद देने की कोशिश करेंगे और उसे इस दर्दनाक स्थिति से उबारने के लिए पूरी ताकत लगाएंगे।
समाज के लिए चेतावनी
यह घटना केवल भावना और उसके परिवार के लिए एक गहरी मानसिक चोट है, बल्कि हमारे समाज के लिए भी एक बड़ी चेतावनी है। हमें महिलाओं के प्रति मानसिक उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के मामलों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। समाज को यह समझना होगा कि ऐसी घटनाएं केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी हैं। महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को खुलकर चर्चा का विषय बनाना, और उन्हें एक सुरक्षित माहौल प्रदान करना, समाज का कर्तव्य बन जाता है।
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि जब तक हम घरेलू हिंसा, मानसिक उत्पीड़न और महिला अधिकारों के मुद्दे पर जागरूकता नहीं बढ़ाएंगे, तब तक ऐसी घटनाओं का सिलसिला जारी रहेगा।