गणतंत्र-दिवस पर काव्य-कलश द्वारा काव्य-गोष्ठी आयोजित
वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल समद राही
जोधपुर । साहित्यिक संस्था- “काव्य-कलश” के बैनर तले 26 जनवरी पर संविधान दिवस पर समर्पित एक गोष्ठी संपन्न हुई,जिसकी अध्यक्षता मनोहर सिंह राठौड़ ने की। हिंदी, उर्दू व राजस्थानी भाषा के चौदह प्रतिष्ठित जाने-माने कवियों व काव्य- प्रेमियों ने सरस,ओजस्वी और सम- सामयिक रचना-पाठ से समां बांध दिया।
श्याम गुप्ता ‘शान्त’ ने राष्ट्रीयता के रंग में रंगे गीत-“बाहर मंज़र हरा-भरा बहुत, मन में भी तो..” गीत से गोष्ठी का आगाज़ किया। प्रसिद्ध पर्यावरणविद् प्रदीप शर्मा ने अपनी ओजस्वी कविता से वातावरण में मिठास उंडेल दी। नामचीन शायर अशफाक अहमद ‘फौजदार’ ने नपे-तुले अंदाज़ में अपनी गज़लों से श्रोताओं का मन मोह लिया।
! असरार ‘आहिल’, ने “बच्चों को समझाना पड़ता है;” की तहरीर पेश की।नामचीन शायर खुर्शीद खैराड़ी ने – “चलाना है तो अन्याय व अनीति पर बुलडोजर चलाओ” बयां कर सनसनी फैला दी।
प्रसिद्ध पत्रकार डी.के. पुरोहित ने दार्शनिक अंदाज़ में ईश्वर की सत्ता को सर आंखों पर रखा। सिने जगत के गीतकार दिलीप केसानी ने- “मुद्दत हुई कहीं कोई ठोकर नहीं लगी”. ग़ज़ल पेश की।
हंसराज ‘हंसा’ ने आज के हालात पर तीखा व्यंग्य परोसा। कवि दिलीप राव ‘दलपत’ ने- “जनमभूमि मरुधरा री..” वंदना प्रस्तुत की।
महिला कवियित्री तृप्ति गोस्वामी ‘काव्यांशी’ कविता- “वह कैसा दौर था, की प्रस्तुति की। नीलम व्यास ‘स्वयंसिद्धा’ ने- ” ज़िंदगी आग है, शोलों को बुझाकर देखना” व उभरती कवियित्री दीपिका धाबाई ने -“सुकून की तलाश में”..जैसी भावप्रवण कविताओं से सबको भिगो दिया।
कार्यक्रम के अंत में अध्यक्ष मनोहर सिंह राठौड़ ने अपने उद्बोधन में 26 जनवरी के महत्व पर प्रकाश डाला। इसी के साथ संस्था की ओर से प्रसिद्ध शायर शीन काफ निजाम साहब को पद्मश्री एवार्ड से सम्मानित होने पर बधाई देकर खुशी जाहिर की गई। कार्यक्रम का जीवंत संचालन एडवोकेट एन.डी. निंबावत ने किया। कार्यक्रम ढाई घंटे तक चला। समापन पर उपाध्यक्ष अशफाक अहमद ‘फौजदार’ ने आगंतुक कवियों एवं अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।