वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा के साथ अकरम खान कि रिपोर्ट।
राजस्थान के पाली जिले के बीसलपुर गांव ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक मिसाल कायम की है। इस बदलाव के पीछे हैं कानाराम, जो गांव में एक चाय की दुकान चलाते हैं। उन्होंने अपने गांव को पूरी तरह से प्लास्टिक मुक्त बनाने का संकल्प लिया और इसे हकीकत में बदलकर दिखाया।
स्कूलों और समाजसेवी संस्थाओं की मदद से बढ़ाया जागरूकता अभियान
कानराम ने सबसे पहले गांव के बच्चों को जागरूक करने का फैसला किया। उन्होंने स्कूलों में जाकर छात्रों को प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के बारे में बताया और उन्हें अपने घरों व आसपास के क्षेत्रों से प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करने के लिए प्रेरित किया। इसके लिए स्कूलों में बड़े डस्टबिन रखवाए गए, जहां बच्चे प्लास्टिक और अन्य कचरा डाल सकते थे। इस पहल को और मजबूती देने के लिए कानाराम ने एक ऑटो भी शुरू किया, जो घर-घर जाकर प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करता था।
स्थानीय स्तर पर वेस्ट मटेरियल रीसाइक्लिंग फैक्टरी की स्थापना
गांव में बढ़ते प्लास्टिक कचरे के समाधान के लिए कानाराम ने कुछ समाजसेवी संस्थाओं की मदद से वेस्ट मटेरियल को रीसाइक्लिंग करने के लिए एक फैक्टरी स्थापित की। इस फैक्टरी में प्लास्टिक को प्रोसेस करके उपयोगी सामान तैयार किया जाता है। कानाराम ने बताया कि पहले गांव का प्लास्टिक कचरा अलग-अलग स्थानों पर भेजा जाता था, लेकिन हाल ही में नैपथोनेस और एम्थोरम के सहयोग से यहां एक प्लांट भी लगाया गया है।
गांव को प्लास्टिक मुक्त बनाने की अनोखी पहल
कानाराम की मेहनत और समर्पण का नतीजा यह है कि आज बीसलपुर गांव पूरी तरह से प्लास्टिक मुक्त हो चुका है। उनकी कोशिश अब आसपास के इलाकों में भी इस पहल को बढ़ाने की है ताकि पर्यावरण को संरक्षित किया जा सके और लोगों को स्वच्छ वातावरण मिल सके।
कानाराम की यह पहल सिर्फ पर्यावरण संरक्षण के लिए ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण साबित हो रही है। उनके इस सराहनीय प्रयास से बीसलपुर गांव जहाँ जवाई बाँध के कारण मशहूर था वही अब दिलीप कुमार धाममल जैन कि प्रेरणा से कानाराम ने गाँव को एक नई पहचान दिला दी और यह देशभर के अन्य गांवों के लिए एक प्रेरणा बन गया है।