*लक्ष्मण दान कविया को मिला पद्मश्री दुलाभाया काग लोकसाहित्य अवार्ड*
*सौराष्ट्र गुजरात मे आयोजित सम्मान समारोह में मोरारी बापू के कर कमलों से मिला 51000/- का पुरस्कार*

नागौर / 4 मार्च। पवन पहाड़िया
*मोरारी बापू ने राजस्थानी भाषा की मान्यता हेतु सकारात्मक प्रयास का दिया आश्वासन*
*रचनाकार की पहचान उसकी रचनाधर्मिता एवं सत्यनिष्ठा से होती है। कलमकार का धर्म है अखिल मानवता की रक्षा, सांस्कृतिक मूल्यों का संरक्षण तथा सबल भविष्य का निर्माण। इस दृष्टि से एक साहित्यकार के लिए पुरस्कार प्रेय तो सकता है किंतु श्रेय नहीं होता। कोई भी सच्चा साहित्यकार पुरस्कार के लिए नहीं लिखता वरन वह समाज का मार्गदर्शन करने का उपक्रम करता है। जब-जब समाज एक रचनाकार के अवदान को संज्ञान में लेकर उसका सम्मान करता है तो वह अपनी ड्यूटी निभाता है।* उक्त उद्गार राजस्थानी के वरिष्ठ कवि, समालोचक एवं काव्यशास्त्री लक्ष्मण दान कविया ने व्यक्त किए। श्री कविया सौराष्ट्र गुजरात के कागधाम में सोमवार रात्रि में आयोजित *पद्मश्री दुलाभाया काग लोकसाहित्य अवार्ड, 2025* के मंच से बोल रहे थे। उन्होंने मोरारी बापू को राजस्थानी भाषा की मान्यता हेतु मदद करने एवं केंद्र सरकार को इस हेतु अपनी अनुशंसा भिजवाने का आग्रह किया।
इस पुरस्कार समारोह में लोकप्रसिद्ध संत मोरारी बापू के कर कमलों से श्री कविया को लोकसाहित्य अवार्ड के रूप में 51000/- नकद राशि, शॉल, स्मृतिचिह्न, अभिनंदन पत्र एवं साहित्य भेंट कर पुरस्कृत किया गया।
मोरारी बापू ने अपने उद्बोधन में राजस्थानी भाषा को मान्यता की आधिकारिक पात्र मानते हुए कहा कि कोई भी भाषा मरनी नहीं चाहिए। उन्होंने राजस्थानी भाषा की मान्यता हेतु अपनी ओर से सकारात्मक एवं समुचित सहयोग का आश्वासन दिया। पूज्य बापू ने कवि काग की वाणी के वैशिष्ट्य को केंद्र में रखकर अपनी धाराप्रवाह शैली में भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के साथ ही जीवनमूल्यों की सुंदर व्याख्या की।
सम्मान समारोह में हजारों की संख्या में कवि, लेखक, गायक आदि उपस्थित रहे। राजस्थान से वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’, कवि महेंद्र सिंह ढाढरिया, कलमकार सांवलदान कविया एवं उम्मेद सिंह गुर्जर ने शिरकत की
कविया को मिले इस पुरस्कार पर नागौर जिले के साहित्यकारों में अतुलित उत्साह है। सम्मानित साहित्यकार पवन पहाड़िया ‘डेह’, सुखदेव सिंह गाडण, श्रीराम वैष्णव, युवा कवि प्रहलाद सिंह झोरड़ा, मेहराम धोलिया, मीठू राम ढाका, विशन सिंह कविया, गोविंद सिंह कविया सहित अनेक साहित्यकारों ने कविया को हार्दिक बधाइयाँ दी।