सोजत/जयपुर: राजस्थान में रीट (REET) पात्रता परीक्षा के दौरान जनेऊ उतरवाने के मामले ने अब बड़ा राजनीतिक रूप ले लिया है। इस घटना के बाद सरकार ने कार्रवाई करते हुए महिला सुपरवाइजर और पुलिस कॉन्स्टेबल को निलंबित कर दिया, लेकिन अब भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) के सांसद राजकुमार रोत ने इस कार्रवाई को अन्यायपूर्ण करार देते हुए दोनों कर्मचारियों की तत्काल बहाली की मांग की है।
सांसद राजकुमार रोत का बयान – “सरकारी नियमों का पालन करना गुनाह बन गया?”
इस मामले पर सांसद राजकुमार रोत ने सरकार के फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा,
“भाजपा सरकार के आदेशों का पालन करना ही अब कर्मचारियों के लिए अपराध बन गया है। डूंगरपुर में रीट परीक्षा के दौरान सरकारी नियमों का पालन करने वाले दो कर्मचारियों को सस्पेंड करना कहां तक उचित है? क्या अब सरकार जाति और धर्म देखकर न्याय करेगी? अगर परीक्षा में नियम लागू करना अपराध है, तो फिर सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि कौन से नियम लागू करने चाहिए और कौन से नहीं?”
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और दोनों कर्मचारियों को तुरंत बहाल किया जाना चाहिए।
क्या है पूरा मामला?
डूंगरपुर जिले में REET पात्रता परीक्षा 2025 के दौरान दो ब्राह्मण अभ्यर्थियों को परीक्षा केंद्र में प्रवेश से पहले जनेऊ (पवित्र यज्ञोपवीत) उतारने के लिए कहा गया, जिसके बाद ही उन्हें परीक्षा देने की अनुमति दी गई। परीक्षा में लागू सुरक्षा मानकों के तहत यह निर्देश दिया गया था, लेकिन जैसे ही यह घटना सामने आई, प्रदेशभर में इस पर विरोध शुरू हो गया।
इस मामले को लेकर कांग्रेस विधायक हरिमोहन शर्मा ने इसे विधानसभा में उठाया और भजनलाल शर्मा सरकार की विफलता करार दिया। इसके अलावा, ब्राह्मण समाज और अन्य संगठनों ने इस घटना की निंदा की और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की।
विप्र फाउंडेशन का बयान – “ब्राह्मणों के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं होगा”
इस मामले में विप्र फाउंडेशन के नेता प्यारेलाल शर्मा ने कड़ा बयान देते हुए कहा,
“जनेऊ उतरवाना धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला कृत्य है। सरकार ने सही फैसला लिया, लेकिन अब कुछ लोग इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। ब्राह्मण समाज के साथ हुए अन्याय को हम किसी भी कीमत पर सहन नहीं करेंगे।”
सरकार का रुख और आगे की रणनीति
डूंगरपुर जिला प्रशासन ने इस पूरे मामले की जांच के बाद महिला सुपरवाइजर और पुलिस कांस्टेबल को निलंबित कर दिया था। हालांकि, अब इस कार्रवाई को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार अपने फैसले पर कायम रहेगी या सांसद राजकुमार रोत के विरोध के बाद इस पर पुनर्विचार किया जाएगा? यह मामला आने वाले दिनों में और अधिक राजनीतिक तूल पकड़ सकता है।