समुद्र में खोए मछुआरे की दिल दहला देने वाली कहानी
पेरू के 56 वर्षीय मछुआरे मैक्सिमो नापा की कहानी किसी फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं लगती। वे मछली पकड़ने के लिए गए थे, लेकिन किस्मत ने उन्हें ऐसी चुनौती में डाल दिया जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। 95 दिनों तक समुद्र में फंसे रहने के बाद, जहां वे कछुए, पक्षी और तिलचट्टे खाकर जिंदा रहे, आखिरकार इक्वाडोर की गश्ती टीम ने उन्हें बचाया। उनकी यह कहानी साहस, संघर्ष और उम्मीद की मिसाल बन गई है।

95 दिनों तक समंदर में फंसा मछुआरा: कछुए, पक्षी और तिलचट्टे खाकर बचाई जान, इक्वाडोर की गश्ती टीम ने ऐसे बचाया
कैसे हुआ हादसा?
मैक्सिमो नापा 7 दिसंबर को पेरू के मर्कोना शहर से मछली पकड़ने के लिए निकले थे। उनके पास दो हफ्ते का खाना और पानी था, लेकिन किस्मत ने कुछ और ही तय कर रखा था। सिर्फ 10 दिन बाद समुद्र में आए एक भीषण तूफान ने उनकी नाव को रास्ते से भटका दिया। वे विशाल महासागर में अकेले भटकने लगे, और धीरे-धीरे उनकी खाद्य सामग्री खत्म होने लगी।
कठिन संघर्ष: कैसे बचाई जान?
जब उनके पास खाने-पीने की कोई चीज नहीं बची, तो उन्होंने समुद्री जीवों को अपना आहार बना लिया। मैक्सिमो नापा ने बताया कि उन्होंने तिलचट्टे, पक्षी और समुद्री कछुए खाकर अपनी भूख मिटाई। प्यास बुझाने के लिए वे बारिश के पानी को इकट्ठा करते रहे। हालांकि, आखिरी 15 दिन तो उन्होंने बिना किसी भोजन के ही गुजारे।
उन्होंने बताया कि इस भयानक संघर्ष में उन्हें जिंदा रखने वाली चीज थी – अपने परिवार की याद। खासकर अपनी मां और दो महीने की पोती का चेहरा उनके दिमाग में बार-बार आता रहा। यही भावनाएं उन्हें संघर्ष करने की ताकत देती रहीं।
95 दिन बाद कैसे हुआ बचाव?
परिवार ने जब मछुआरे के लापता होने की सूचना दी तो पेरू की समुद्री गश्ती टीम ने उनकी तलाश शुरू कर दी। लेकिन इतने विशाल महासागर में उन्हें ढूंढ पाना आसान नहीं था। महीनों की तलाश के बावजूद कोई सुराग नहीं मिला।
आखिरकार, 95 दिन बाद, इक्वाडोर की मछली पकड़ने वाली एक गश्ती टीम ने नापा को बुधवार को इक्वाडोर के तट से 680 मील (लगभग 1100 किलोमीटर) दूर समुद्र में पाया। जब उन्हें बचाया गया, तब वे बेहद कमजोर और निर्जलित हालत में थे। वापस लौटने के बाद उन्होंने भगवान का धन्यवाद करते हुए कहा कि उन्हें दूसरा जीवन जीने का मौका मिला है।
परिवार ने खो दी थी उम्मीद, बेटियों ने रखा भरोसा
मैक्सिमो नापा की मां एलेना कास्त्रो ने बताया कि उनके परिवार के कुछ सदस्य अब भी उम्मीद बनाए हुए थे, लेकिन वे धीरे-धीरे भरोसा खोने लगी थीं। उन्होंने भगवान से सिर्फ इतनी प्रार्थना की थी कि अगर बेटा जिंदा हो या नहीं, लेकिन कम से कम उसका पता मिल जाए।
हालांकि, उनकी बेटियों ने कभी भी उम्मीद नहीं छोड़ी। वे हमेशा भरोसा बनाए रहीं कि उनके पिता किसी न किसी तरह लौट आएंगे – और आखिरकार उनकी प्रार्थनाएं सच साबित हुईं।
वापसी पर भावुक हुआ परिवार
जब नापा अपने घर लौटे तो पूरा परिवार भावुक हो गया। मां, बेटियां और रिश्तेदारों ने उन्हें गले लगाकर अपनी खुशी जाहिर की। उनकी मां ने कहा, “मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा कि मेरा बेटा जिंदा लौट आया है। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।”