22 मार्च 2025 को मनाई जाएगी शीतला अष्टमी, जानें बसौड़ा पर्व का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
शीतला अष्टमी, जिसे बसौड़ा पर्व भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है और माता को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

शीतला अष्टमी 2025: क्यों लगाया जाता है माता को बासी भोजन का भोग? जानें महत्व और तिथि
शीतला अष्टमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, शीतला अष्टमी 2025 का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा:
- अष्टमी तिथि प्रारंभ: 22 मार्च 2025 को सुबह 4:23 मिनट
- अष्टमी तिथि समाप्त: 23 मार्च 2025 को सुबह 5:23 मिनट
- पूजा का मुख्य दिन: 22 मार्च 2025 (उदयातिथि के आधार पर)
क्यों लगाया जाता है माता को बासी भोजन का भोग?
हिंदू धर्म में देवी-देवताओं को आमतौर पर ताजा और सात्विक भोजन का भोग लगाया जाता है, लेकिन शीतला माता को बासी भोजन का भोग लगाने की परंपरा है। इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों कारण हैं।
धार्मिक कारण:
शीतला माता को शीतलता और आरोग्य की देवी माना जाता है। यह पर्व बीमारियों और विशेष रूप से चेचक, फोड़े-फुंसी, त्वचा संक्रमण आदि से बचाव के लिए मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन माता को ठंडा और बासी भोजन अर्पित करने से वे प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को रोगों से मुक्त करती हैं।
वैज्ञानिक कारण:
- शीतला अष्टमी के बाद से गर्मी का मौसम तेज होने लगता है, जिससे बासी भोजन जल्दी खराब होने लगता है।
- यह पर्व हमें गर्मी के मौसम में ताजा भोजन करने की शिक्षा देता है, ताकि हम बासी भोजन से होने वाली बीमारियों से बच सकें।
- इस दिन घरों में चूल्हा नहीं जलाया जाता और सप्तमी के दिन पहले से ही भोजन तैयार कर लिया जाता है।
कैसे मनाई जाती है शीतला अष्टमी?
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर व्रत रखा जाता है।
- मंदिर या घर में शीतला माता की प्रतिमा की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
- माता को बासी भोजन जैसे पूड़ी, दही, चावल, मीठे पकवान आदि का भोग लगाया जाता है।
- पूजा के बाद पूरा परिवार वही बासी भोजन ग्रहण करता है।
- इस दिन कोई नया खाना नहीं पकाया जाता और चूल्हे का उपयोग नहीं किया जाता।
- महिलाएं और बच्चे इस दिन व्रत रखते हैं और शीतला माता से परिवार की सेहत और खुशहाली की प्रार्थना करते हैं।
शीतला माता की पूजा से होने वाले लाभ
✅ चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है।
✅ गर्मी के मौसम में बीमारियों से बचाव होता है।
✅ घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
✅ बच्चों को विशेष रूप से बीमारियों से बचाने के लिए यह व्रत किया जाता है।