लेखक- आचार्य माधव शास्त्री जी
-श्रीमत् हनुमान जन्मोत्सव-
चैत्र मास शुक्ल पूर्णिमा को मध्याह्न में हनुमान जी का जन्म हुआ था और हनुमान जी चिरंजीवी कहे गए हैं इसलिए हनुमान जी को अद्यावधि भी सम्मान पूर्वक स्वागत पूर्वक पूजन अर्चन किया जाता है।
हृदय में श्रद्धा व विश्वास रखते हुए सिन्दूर घृतासिक्त कर लेपन कर षोडशोपचार पूजन अर्चन करने पर अंजनी पुत्र की प्रसन्नता और सान्निध्य प्राप्त होता है जिसके कारण मन व बुद्धि पवित्र होकर शारीरिक सुख व शांति प्रदान करते हैं।
आइए समय पर मंदिर में या पूजा ग्रहों में जाकर अपने स्वयं के हाथों से स्वागत और पूजन अर्चन करना चाहिए यदि चिरंजीवी कृपालु हनुमान जी का विग्रह उपलब्ध न हों तो अपने घर में ही पत्थर की एक शिला लेकर सिन्दूर घृतासिक्त मलते हुए स्वागत कर पूजन अर्चन करते हुए नैवेद्य अर्पण कर निराजन करते हुए साष्टांग दंडवत प्रणाम किया जाना चाहिए।