✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
सोजत / जयपुर: राज्य में चिकित्सकों और चिकित्साकर्मियों की सुरक्षा को लेकर सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। अस्पतालों में हिंसा की घटनाओं को रोकने और चिकित्सकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गृह विभाग ने नई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की है। इस SOP के तहत चिकित्सकों पर बेवजह मुकदमा दर्ज कराना अब आसान नहीं होगा, वहीं अस्पतालों में हिंसा की घटनाओं पर पुलिस को सख्त कार्रवाई करनी होगी।
SOP के मुख्य बिंदु:
- अस्पताल में हिंसा की घटनाओं पर तत्काल कार्रवाई
- किसी भी सरकारी या निजी अस्पताल में यदि हिंसा होती है तो 6 घंटे के भीतर FIR दर्ज करना अनिवार्य होगा।
- दोषियों की जल्द से जल्द पहचान कर नियमानुसार गिरफ्तारी की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
- जांच और पर्यवेक्षण की नई व्यवस्था
- जिला स्तर पर एसपी (SP) स्तर के अधिकारी इस प्रकार के मामलों की निगरानी करेंगे।
- राज्य स्तर पर एडीजी (ADG) अपराध की ओर से नामित अधिकारी जांच का पर्यवेक्षण करेंगे।
- चिकित्सकों पर झूठे मुकदमों पर रोक
- चिकित्सकों के खिलाफ दर्ज होने वाली शिकायतों की पहले प्रारंभिक जांच होगी।
- यदि शिकायत झूठी या दुर्भावनापूर्ण पाई जाती है तो शिकायतकर्ता पर भी कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
- अस्पतालों में सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश
- अस्पतालों में हिंसा रोकने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए जाएंगे।
- विशेषकर संवेदनशील अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
चिकित्सकों की लंबे समय से रही थी मांग
राज्यभर के चिकित्सक लंबे समय से अपनी सुरक्षा को लेकर सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे थे। अस्पतालों में हिंसा, तोड़फोड़ और मारपीट की घटनाएं लगातार बढ़ रही थीं, जिससे डॉक्टरों और अन्य चिकित्सा कर्मियों में डर का माहौल था। राजस्थान मेडिकल एसोसिएशन और अन्य संगठनों ने कई बार विरोध प्रदर्शन भी किए थे।
सरकार ने दी सख्त चेतावनी
गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति अस्पताल में चिकित्सकों पर हमला करता है, तो उसे सख्त कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा, यदि कोई मरीज के परिजन डॉक्टरों के खिलाफ झूठी शिकायत करते हैं, तो उन पर भी आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।
चिकित्सकों की सुरक्षा को लेकर सरकार की यह नई SOP स्वास्थ्य सेवाओं को निर्बाध रूप से संचालित करने में सहायक होगी। अब चिकित्सकों को बेवजह मुकदमों में फंसाने की प्रवृत्ति पर भी रोक लगेगी और अस्पतालों में हिंसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।