✍️ वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा
नई दिल्ली।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सहारा समूह पर बड़ी कार्रवाई करते हुए महाराष्ट्र स्थित मशहूर एम्बी वैली सिटी और उसके आसपास की करीब 707 एकड़ जमीन को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है। इस संपत्ति की बाजार कीमत लगभग 1460 करोड़ रुपये आंकी गई है। ईडी की जांच में सामने आया है कि यह जमीन बेनामी तरीके से खरीदी गई थी और इसके लिए फंडिंग सहारा ग्रुप की संस्थाओं से की गई थी।
ओडिशा, बिहार और राजस्थान में दर्ज FIR के आधार पर जांच
कोलकाता जोन की ईडी टीम ने ओडिशा, बिहार और राजस्थान पुलिस द्वारा दर्ज तीन प्राथमिकियों के आधार पर यह जांच शुरू की थी। ये प्राथमिकियां ‘मेसर्स हमारा इंडिया क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (HICCSL)’ और सहारा समूह की अन्य संस्थाओं के खिलाफ धोखाधड़ी और धन शोधन के आरोपों से संबंधित थीं।
500 से अधिक FIR, 300 से ज्यादा पीएमएलए के तहत
ईडी ने बताया कि सहारा ग्रुप की अलग-अलग कंपनियों और उससे जुड़े व्यक्तियों के खिलाफ अब तक 500 से ज्यादा एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं, जिनमें से 300 से अधिक केवल पीएमएलए एक्ट के तहत दर्ज की गई हैं। इन सभी में एक समान आरोप है — जमाकर्ताओं को ऊंचे रिटर्न और कमीशन का लालच देकर निवेश के लिए प्रेरित किया गया, लेकिन उनकी सहमति के बिना उनके पैसे का दोबारा निवेश किया गया और भुगतान मांगने पर मना कर दिया गया।
पोंजी स्कीम के तहत पैसा जुटाने का खुलासा
ईडी की जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि सहारा ग्रुप की विभिन्न संस्थाएं —
- हमारा इंडिया क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (HICCSL)
- सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (SCCSL)
- सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी (SUMCS)
- स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (SMCSL)
- सहारा इंडिया कमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SICCL)
- सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SIRECL)
- सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SHICL)
इन सभी के जरिए पोंजी स्कीम चलाई जा रही थी, जिसमें नए निवेशकों से पैसा लेकर पुराने निवेशकों को भुगतान किया जाता था। समूह ने एजेंटों और जमाकर्ताओं को धोखे में रखकर बार-बार योजनाओं में परिवर्तन किया और एक योजना से दूसरी योजना में धन हस्तांतरित किया।
खातों में हेराफेरी और नकदी में लेनदेन
ईडी का दावा है कि सहारा समूह ने खातों की पुस्तकों में हेराफेरी कर पुनर्निवेश को नए निवेश के रूप में दिखाया। पुराने निवेशकों को भुगतान न करने के बावजूद नए निवेश लेना जारी रखा गया। इसके साथ ही जांच में यह भी सामने आया है कि समूह ने कई संपत्तियों को बेचा और जमीन की बिक्री के बदले नकदी में भुगतान लिया, जिससे जमाकर्ताओं को उनके वैध दावों से वंचित किया गया।
जमीन की बिक्री और अघोषित आय
ईडी की रिपोर्ट के अनुसार, सहारा समूह के अधिकारियों और संबंधित व्यक्तियों ने लग्जरी जीवनशैली और निजी खर्चों के लिए जमाकर्ताओं का पैसा इस्तेमाल किया। एमबी वैली की जमीन भी इसी तरह बेनामी नाम पर खरीदी गई थी, जिससे नियमों का उल्लंघन हुआ।
ईडी की कार्रवाई: नकदी जब्त, बयान दर्ज
ईडी ने पीएमएलए की धारा 17 के तहत कई जगहों पर छापेमारी की, जिसमें 2.98 करोड़ रुपये की नकदी बरामद हुई है। साथ ही धारा 50 के तहत सहारा कर्मचारियों, एजेंटों, जमाकर्ताओं और अन्य संबंधित लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं।
जांच जारी, बड़ी कार्रवाई की संभावना
फिलहाल जांच प्रक्रिया जारी है और ईडी सूत्रों के मुताबिक आने वाले समय में सहारा समूह के खिलाफ और भी बड़ी कुर्की व जब्ती की कार्रवाई संभव है। करोड़ों जमाकर्ताओं की उम्मीदें अब ईडी की जांच पर टिकी हैं, जिससे उन्हें उनके हक की राशि वापस मिल सके।