काव्य कलश साहित्यिक संस्था की मासिक गोष्ठी आयोजित


उनकी तो मुझपे मेहरबानी बहुत है : अशफ़ाक अहमद फौजदार
रिपोर्ट अब्दुल समद राही
जोधपुर। नगर के साहित्यिक धरातल पर सतत क्रियाशील संस्था “काव्य-कलश” की नियमित मासिक काव्य-गोष्ठी संस्था के पावटा ‘सी’ रोड स्थित संस्था कार्यालय पर संपन्न हुई, जिसमें ऊर्जा से लबरेज नगर के 19 नामचीन कवियों, कवियित्रियों एवं शायरों ने लगभग तीन घंटे की गोष्ठी में बढ़-चढ़कर अपनी-अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।
संस्था के सचिव श्याम गुप्ता ‘शान्त’ ने बताया कि गोष्ठी की अध्यक्षता साहित्यकार एडवोकेट एन.डी.निंबावत ने की। गोष्ठी का आगाज कवियित्री नीलम व्यास ‘स्वयंसिद्धा’ ने सरस्वती-वंदना से किया। तत्पश्चात् राखी पुरोहित, शायर अब्दुल रहीम सांखला, दिलीप कुमार पुरोहित, ओमप्रकाश गोयल ने अपने-अपने नायाब नगमे पेश किए। संस्था के उपाध्यक्ष अशफ़ाक अहमद फौजदार ने मंच संचालन करते हुए अपनी गज़ल “उनकी तो मुझपे मेहरबानी बहुत है..” ने खूब तालियां बटोरी। श्याम गुप्ता ‘शान्त’ ने- ‘बोतल-बयालीसा’ सुनाकर महफिल की फिज़ा बदल दी। नामवर शायर रजा मोहम्मद खान की दोनों गजलें पुर असर रही। कला-मर्मज्ञ प्रमोद वैष्णव की कविताओं का रेंज सदा की तरह शिखर पर रहा, उनकी कविता की पंक्तियां “मनीप्लांट की तरह होता है दिल लगाना..” बेमिसाल थी। नवीन पंछी की लघु कविता- “पानी है वहां, इसी आस में समंदर तक गई प्यास..” का असर देर तक बना रहा। प्रदीप शर्मा ने कविता की रूह में पर्यावरण का पेड़ लगाकर उसे हरा-भरा कर दिया। विदुषी कवियित्री डॉ. तृप्ति गोस्वामी ‘काव्यांशी’ ने “जनहरण घनाक्षरी छंद” में शिव-महिमा प्रस्तुत की। सुलझे हुए शायर असरार ‘आहिल’ ने “पता है वो मुझे मुड़कर न देखेगी..” ने सबका मन मोह लिया। पंकज ‘बिंदास’ ने फिल्मी गीत- ‘कभी कभी मेरे दिल में खयाल..’ को अपने दिलकश अंदाज में पेश किया। दिलीप राव श्रीमाली ‘दलपत’ ने डिंगल भाषा में शानदार रचना परोसी। दीपिका ‘रूहानी’ की कविता- “हमने तुझे याद आना छोड़ दिया..” रूह को छू गई। उमेश दाधीच ने अपने कनाडाई संस्मरण को कविता के रूप में जीवंत कर दिया। कार्यक्रम के अध्यक्ष एडवोकेट निंबावत ने तीन मुक्तक सुनाकर समां बांध दिया। अंत में संस्था के अध्यक्ष मनोहर सिंह राठौड़ ने संस्था की उत्तरोत्तर विकासशील गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए अपनी रचना प्रस्तुत की।
संस्था के सचिव गुप्ता ने आगंतुक कवियों के शिरकत करने पर सभी का हृदय से आदर-सत्कार करते हुए आभार व्यक्त किया।