राजस्थान के कोटा शहर, जिसे कोचिंग सिटी के नाम से जाना जाता है, में एक और छात्र की आत्महत्या की घटना सामने आई है। 18 वर्षीय नीट परीक्षार्थी, जो उड़ीसा का रहने वाला था, ने विज्ञाननगर इलाके में अपने किराए के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। यह दुखद घटना गुरुवार देर रात हुई।

कोटा में एक और छात्र की आत्महत्या: जनवरी में तीसरी घटना ने कोचिंग सिटी की तस्वीर पर उठाए सवाल
पुलिस के अनुसार, मृतक छात्र शहर के विज्ञाननगर इलाके में एक पीजी में रहकर नीट की तैयारी कर रहा था। घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लिया और पोस्टमार्टम के लिए स्थानीय अस्पताल की मोर्चरी में भेज दिया। छात्र के परिवार को सूचित कर दिया गया है, और मामले की जांच जारी है।
जनवरी में तीसरी आत्महत्या, कोचिंग सिटी के हालात पर सवाल
जनवरी 2025 में यह कोटा में छात्रों द्वारा आत्महत्या का तीसरा मामला है। इससे पहले, 9 जनवरी को मध्य प्रदेश के गुना के रहने वाले 20 वर्षीय अभिषेक लोधा ने विज्ञाननगर थाना क्षेत्र के अंबेडकर नगर में अपने पीजी रूम में फांसी लगाई थी। अभिषेक के कमरे से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ था, जिसमें उसने परिवार से माफी मांगते हुए लिखा था कि वह कड़ी मेहनत करने के बावजूद प्रतियोगी परीक्षा में सफल नहीं हो पाएगा।
इसके एक दिन पहले, 8 जनवरी को हरियाणा के नीरज नामक छात्र ने जवाहर नगर थाना क्षेत्र में अपने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगाकर अपनी जान दी थी।
बढ़ते आत्महत्या के मामलों का कारण: दबाव और अवसाद
कोटा में छात्रों द्वारा आत्महत्या के बढ़ते मामलों ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के दौरान छात्रों पर पड़ने वाले दबाव और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को उजागर किया है। कोटा में देशभर से हजारों छात्र नीट, जेईई और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं। लेकिन कड़ी प्रतिस्पर्धा, बेहतर प्रदर्शन का दबाव और घर से दूर रहना छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि छात्रों को काउंसलिंग और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं की अधिक आवश्यकता है। हालांकि कोचिंग संस्थानों और प्रशासन की ओर से समय-समय पर हेल्पलाइन और काउंसलिंग सेवाओं का दावा किया जाता है, लेकिन इनका प्रभाव सीमित है।
प्रशासन और कोचिंग संस्थानों के लिए सवाल
कोटा प्रशासन और कोचिंग संस्थानों के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि वे छात्रों पर पड़ने वाले दबाव को कैसे कम करें। शहर में कई कोचिंग संस्थान हैं, जो छात्रों को उच्च स्तरीय पढ़ाई का माहौल प्रदान करते हैं। लेकिन इन संस्थानों में पढ़ाई के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य और तनाव प्रबंधन पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
जनता और अभिभावकों के बीच यह सवाल उठ रहा है कि क्या कोचिंग संस्थानों की प्राथमिकता सिर्फ छात्रों की सफलता तक सीमित रह गई है, या वे छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रख रहे हैं।
कोटा कोचिंग सिटी: एक उज्ज्वल सपना या दबाव की अंधेरी गली?
कोटा का नाम छात्रों की सफलता और उच्च शिक्षण गुणवत्ता के लिए जाना जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में आत्महत्या की घटनाओं ने इसकी छवि को धूमिल कर दिया है। यह समय है कि कोचिंग संस्थान, प्रशासन, और अभिभावक मिलकर छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें और इस चुनौतीपूर्ण स्थिति को संभालने के लिए ठोस कदम उठाएं।