वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश बोराणा के साथ अकरम खान कि रिपोर्ट।
जयपुर: राजस्थान की नि:शुल्क दवा योजना में गंभीर लापरवाही सामने आई है। विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में सरकार ने स्वीकार किया कि बीते एक वर्ष में योजना के तहत वितरित की गई 89 दवाएं गुणवत्ता जांच में फेल हो चुकी हैं। इनमें कई जीवनरक्षक और आवश्यक दवाएं शामिल हैं, जिनका उपयोग लाखों मरीजों द्वारा किया जाता है।
गंभीर बीमारियों की दवाएं भी फेल
फेल हुई दवाओं में मल्टीविटामिन टैबलेट, खून पतला करने की दवाएं, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दवाएं, बीपी की दवा, दर्द निवारक, नेत्र रोग की दवाएं, डायबिटीज की दवाएं, पेट के कीड़े मारने की दवाएं, टिटनेस इंजेक्शन, एलर्जी, हृदय रोग और कैंसर की दवाएं शामिल हैं।
इसके अलावा, एंटीबायोटिक्स, खून बहाव रोकने की दवाएं, इंसुलिन, बच्चों की श्वसन संबंधी बीमारियों की दवाएं, एचआईवी टेस्ट किट, रेबीज की दवा और बड़ी सर्जरी के दौरान इस्तेमाल होने वाली दवाएं भी जांच में फेल पाई गई हैं।
मरीजों की सेहत पर खतरा
यह योजना सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों पर जरूरतमंद मरीजों को मुफ्त दवाएं उपलब्ध कराने के लिए चलाई जा रही है। लेकिन इन दवाओं की गुणवत्ता खराब होने से मरीजों की जान को गंभीर खतरा हो सकता है।
सरकार ने दिए जांच के आदेश
इस खुलासे के बाद स्वास्थ्य विभाग पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश जारी किए हैं और दोषी आपूर्तिकर्ताओं पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दि है।